क्यों अभी तक किसी ने इस पर प्रसंज्ञान नहीं लिया
?
क्यों सत्तर वर्षों से रही ये शिखर से वंचित,
क्यों शासकों ने राष्ट्रभाषा का संविधान नहीं किया
?
क्यो नहीं चाहते हिन्दी स्थापित हो सर्वोच्च स्थान?
क्यों नहीं चाहते हिन्दी गर्वित भारत संविधान?
क्यों नहीं चाहते एक क्रांति हो आए प्रावधान?
आओ इस बात का अब वादा करें ।
हिन्दी बने सिरमौर इरादा करें।
सबकी दृष्टि है हिन्दुस्तान पर अब,
इसलिए प्रयत्न सबसे ज्यादा करें।।
आपकी ब्लॉग पोस्ट को आज की ब्लॉग बुलेटिन प्रस्तुति अंतरराष्ट्रीय शिक्षक दिवस और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। सादर ... अभिनन्दन।।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद हर्षवर्द्धनजी।
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