6 अक्तूबर 2016

माँँ के दरबार में अरदास

2122   2122    2122   212 

आज माता के सजे, दरबार मे आ जाइए।
आइए नवरात्रि के, दरबार में आ जाइए।

रोज आएँ नौ दिनों तक, भावना भक्ति करें,
मात रानी के चरण में, हाजिरी लगवाइए।

शेर की करती सवारी, माँ सजी चोला पहन,
नौ दिनों तक माँ समीप, अखंड जोत जलाइए।

हाथ में खँग मुंडमाला, है त्रिशूल विराट भी,
ढोल, घंटे, झालरों के, बीच दर्शन पाइए।

आज ‘आकुल’ की तिरे, दरबार में अरदास है
जागरण करता रहूँ, इतनी कृपा कर जाइए।

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