छंद-
गगनांगना छंद
शिल्प
विधान- मात्रा भार 25. 16, 9 पर यति, चरणांत 212.
पदांत-
गया
समांत-
आ
फूलों
ने संदेश दिया है, बसंत आ गया.
हर
पथ गाँव शहर गलियों में, बसंत छा गया.
धूप
न भाये, हवा सुहाये, तँग न करे शरद,
अब
स्वच्छंद प्रकृति में घूमें, बसंत भा गया.
स्वच्छ
बनायें घर आँगन पथ, गाँव शहर सभी,
सौरभ
पवन आ राग बहार , बसंत गा गया.
देख
भ्रष्ट, दुष्कर्म, न्याय पर, जन जन नाद से,
जगी
चेतना नई संतुष्टि, बसंत पा गया.
विश्व
खड़ा आतंकवाद पर, प्रश्न कई लिए,
आतंकवाद
कई’ देशों का, बसंत खा गया.
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