छंद- पदपादाकुलक
शिल्प विधान- मात्रा भार 16. आरंभ
द्विकल से अनिवार्य.
त्रिकल से आरंभ
वर्जित. द्विकल के बाद यदि
त्रिकल है तो
उसके बाद एक त्रिकल और आना
चाहिए.
पदांत- बसंत
समांत- आया
फूलों ने महकाया बसंत.
होने को है अब शरद विदा
कोयल ने भी गाया बसंत
शादी, त्योहारों, पर्वों पे,
मेहमानों को लाया बसंत
अब फाग सभी मिल खेलेंगे
होली ने बुलवाया बसंत.
गायें धमार, रसिया गूँजें,
अब सबको मन भाया बसंत
खलिहान और सब खेत भरें,
फसलों ने फुसलाया बसंत
आओ ‘आकुल’ भूलें कटुता,
संदेश लिये आया बसंत.
बहुत सुन्दर बासन्ती रंग लिए प्रस्तुति
जवाब देंहटाएं