28 मई 2019

रोशनी आगे है’ बस बढ़ते रहो

छंद- पियूष पर्व
मापनी- 2122 2122 212
पदांत- रहो
समांत- अते  

रोशनी आगे है’ बस बढ़ते रहो.
मंजिलों की खोज में चलते रहो.

हौसले ऊँचाइयाँ देते सदा,
और देते पंख हैं उड़ते रहो.

मोह क्‍यों साये सदा पीछे रहें
धूप से संघर्ष है तपते रहो

बाँधना हो तो कभी हद बाँधना,
कष्‍ट हर गंतव्‍य तक सहते रहो.

रोशनी को लाँघना पुरुषार्थ से,
सैंकड़ों इतिहास तुम गढ़ते रहो.

कीर्तिमानों को कभी मढ़ना नहीं,
रुख हवाओं का सदा पढ़ते रहो.

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