30 मई 2019

चौपालों पर ही क्‍या हरसू, सत्‍ता की ही बात (गीतिका)


छंद- सरसी/कबीर
विधान- मात्रा भार- 27. यति 16, 11 (चौपाई +दोहे का सम चरण) पर, अंत गुरु-लघु (21) अनिवार्य. 
पदांत- 0
समांत- आत

चौपालों पर ही क्‍या हरसू, सत्‍ता की ही बात.
क्‍या देगी सरकार अनोखी, हम सबको सौगात.

रोजगार के करवायेगी, अवसर क्‍या उपलब्ध,
राग अलापेगा कश्‍मीर का’, क्‍या विपक्ष दिन-रात.

आरक्षण का मुद्दा क्‍या फिर, गरमायेगा खूब,
फेना जैसा कहर न बरपे हे प्रभु इस बरसात.

मीटू, भ्रष्‍टाचार सहित क्‍या, कम होंगे दुष्‍कर्म,
जनसंख्‍या काबू होगी या रोकेंगे जज्‍बात.

स्‍मार्ट बनेंगे शहर सफाई, से चमकेगा देश,
पशुधन, गोवंशों की हालत भी सुधरेगी स्‍यात.

मिले उपज का उचित मूल्‍य ऋण, सुविधा हों भरपूर,
तभी गाँव के हर किसान के, बदलेंगे हालात.

बात देश की हो विकास ही, सर्वोपरि हो ध्‍येय,
सजा वही हो भितरघात की, सरहद पर हो घात. 

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