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गीतिका
आधार छन्द- मधुवल्लरी
मापनी- 2212 2212 2212
पदांत- दें
समांत- आन
‘डाक्टर्स डे है बस उन्हें सम्मान दें।
अपमान हो ना बस सदा यह ध्यान दें।1।
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विश्वास हो यदि तो नहीं संशय रखें,
उनकी सुनें उनको कभी ना ज्ञान दें।2।
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नि:स्वार्थ जो देता सदा ही जिंदगी,
ईश्वर सदृश सर्वोच्च पद स्थान दें।3।
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डॉक्टर बिना जब काम संभव ही न हो,
अफवाह पर हम व्यर्थ क्यों फिर कान दें।4।
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’आकुल’ न हों बस भ्रष्ट डॉक्टर भी स्वयं,
सर्वत्र वे भी स्वच्छ निज पहचान दें।5।
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दोहा गीतिका
चिकित्सक दिवस
आज चिकित्सक दिन मने, उनका कर सम्मान।
चलते हैं वे अग्निपथ, रख जीवन का ध्यान।1।
व्यर्थ सभी सुख सम्पदा, यदि तन मन अस्वस्थ,
स्वस्थ बदन में राजते, कहते हैं भगवान्।2।
सर्वे संतु निरामया, उनका है यह ध्येय,
जन्म-मृत्यु तो आज भी, विधि हाथों में जान।3।
देता जो नि:स्वार्थ ही, नवजीवन की भेंट,
कर न सके यदि मान तो, मत कर तू अपमान।4।
हों कृतज्ञ इनके सदा, जीवन में रख सोच,
करते यही निदान हैं, देते ये मुस्कान।5।
3
चिकित्सक दिवस पर दोहे
आज चिकित्सक दिन मने, उनका कर सम्मान ।
चलते हैं वे अग्निपथ, रख जीवन का ध्यान ।।
व्यर्थ सभी सुख सम्पदा, यदि तन मन हैं म्लान ।
स्वस्थ बदन में राजते, कहते हैं भगवान् ।।
सर्वे संतु निरामया, इनका कर्म प्रधान ।
जन्म-मृत्यु तो आज भी, विधि हाथों में जान ।।
देता जो नि:स्वार्थ ही, नवजीवन का दान ।
कर न सके यदि मान तो, मत कर तू अपमान ।।
हों कृतज्ञ इनके सदा, कर इनका गुणगान ।
करते यही निदान हैं, देते ये मुस्कान ।।
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