गीतिका
छंद- रास
विधन- प्रति
चरण मात्रा 22। 8,8,6 पर यति. अंत लघु गुरु.
पदांत- की
बात करें
समांत-
आरों
सम्बंधों
न सरोकारों की, बात करें।
दुनियाभर
के दरबारों की, बात करें।
जैसा राजा वैसी
जनता, की मुश्किल,
अपराधों की
भरमारों की, बात करें।
सत्ता,
बदले इज्जत टाँगें, खूँटी पर,
गाली, जूतम-पैजारों
की, बात करें।
पिछली सत्ता
ने कितना भी, सही किया,
धुले नहीं
वे भी सारों की, बात करें।
साम दाम
अरु दंड, भेद की, नीति चलें,
राजनीति में
बस नारों की, बात करें।
लोकतंत्र
में पैठ न दल बल, बिन बनती,
उमराओं रसूखदारों
की, बात करें।
देखा, सुना,
पढ़ा, भोगा है, सच्चाई,
’आकुल’ से बस
इन चारों की, बात करें।
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