14 जुलाई 2024

पेड़ से इंसान की किसमत बनी है

गीतिका
छंद- पियूष निर्झर
विधान/मापनी- 2122 2122 2122
पदांत- है
समांत- अनी

पेड़ से इंसान की किसमत बनी है।
कद्र ना करने से उससे ही ठनी है।

पेड़ ने फल फूल पत्‍ते लकड़ि‍याँ दीं,
शुद्ध सब दे संग छाया दी घनी है।

आज कागज अरु किताबें वृक्ष से ही,  
ढेर सुख सुविधा से किस्‍मत का धनी है।

वृक्ष रोपें पौध ढेरों हम लगाएँ,
आपदा से फैल जाती सनसनी है।

आदमी को चाहिए अब वृक्ष पाले,   
जिंदगी यदि चैन सुख से काटनी है

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