7 जुलाई 2024

माँ शारदे अब तार दे, मम लेखनी को धार दे

 गीतिका

छंद- हरिगीतिका
मापनी- 2212 2212 2212 2212
पदांत- दे
समांत- आर
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माँ शारदे अब तार दे, मम लेखनी को धार दे।
वाणी बने सफला करूँ रचना सुखी संसार दे।
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संस्कारधानी हों शहर, शिक्षित हो अब हर बस्तियाँ,
नवपीढियों में देश के प्रति गर्व हो संस्कार दे।
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हो अतिक्रमण पर सख्तियाँ, पर्यावरण के प्रति सजग,
जग में प्रदूषण दूर हो, भू को हरित शृंगार दे ।
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नव कल्पना नव चेतना से रूप निखरे देश का,
जन जन समर्पित हो सदा, प्रति राष्ट्र के विस्तार दे।
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उपलब्ध हों जीवन उपार्जन को व्यवस्थाएँ सरल,
हर वर्ग को व्यवसाय या सेवा का अवसर चार दे।
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सन्नद्ध हो नारी रहे अब आत्मनिर्भर हर जगह,
श्रद्धा स्वरूपा थी युगों से आदमी अब प्यार दे।
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आकुल नियंत्रण हो, न हो विस्फोट जनसंख्या रुके,
सद्बुद्धि दे, सामर्थ्य दे हो इक सुखी परिवार दे।

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