पदांत- होता अवश्य है
समांत- आह
साहस का उत्स, उत्साह, होता अवश्य है.
जीवन
में, इसका प्रवाह, होता अवश्य है.
कभी उत्साह,
को हम माप, तो सकते नहीं
समय पर, इसका आगाह, होता अवश्य है.
सुख और, दुख उत्साह के, ही पहलू हैं दो,
सुख और, दुख उत्साह के, ही पहलू हैं दो,
नहिं
चाह, कर भी निर्वाह, होता अवश्य है.
पूर्ण तो कोई, नहीं जीवन में, इसीलिए,
पूर्ण तो कोई, नहीं जीवन में, इसीलिए,
कभी
उत्साह, में गुनाह, होता अवश्य है.
कर्म
में छिपा, बेपनाह, होता अवश्य है.
एकजुट, होने का श्रेष्ठ, भाव है उत्साह,
उद्देश्य
प्राप्ति, का गवाह, होता अवश्य है.
पर्व
का, उत्साह ही, देता है नव ऊर्जा,
हर
उम्र में, इक उत्साह, होता अवश्य है.
कभी कमी,
न आने दो तुम, इस उत्साह में,
उत्साह,
जीवन की राह, होता अवश्य है.
उत्साह
में, छिपा यह मर्म, जान लो ‘आकुल’,
कहीं
ईश्वर, या अल्लाह, होता अवश्य है.
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