14 अक्तूबर 2017

पत्‍थर दिल भी गाना सीख ले



छंद- गीतिका
मापनी- 2122 2122 2122 212
पदांत- सीख ले
समांत- आना

डर न सबको साथ ले तू डर भगाना सीख ले.
जो नहीं डरता उसी का है जमाना सीख ले.

फूल ने क्‍या शूल से डर कर न दी खुशबू कभी, 
कंटकों की राह में तू पग जमाना सीख ले.

दु:ख दे जाता न हँसने की सज़ा अकसर हमें
बीच में बच्‍चों के’ रह कर खिलखिलाना सीख ले.

चाह छूने की गगन को, वो जमीं से बेखबर,
तू जमीं बंजर न हो पौधे लगाना सीख ले.     

मेघ बरसें पर्वतों पे वन घने बसते स्‍वयं
प्‍यार यूँ बरसे कि पत्‍थर दिल भी’ गाना सीख ले.

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