पदांत- है
समांत- अहना
दीवाली दीपों से सजती, होली रंगों का गहना है।
इन पर्वों से ही इंसानों, ने मिल कर सीखा रहना है ।।1।।
मेरा भारत है पर्वों, त्योहारों, मेलों का देश यहाँ,
गंगा-यमुना की संस्कृति ने, धर्मों का बाना पहना है।।2।।
राष्ट्रिय पर्वों पर सर्व-धर्म, समभाव लिए सब जुड़ते हैं,
इस मातृभूमि की रक्षा को, हर दुश्मन का गढ़ ढहना है।।3।।
बहला न सका दुश्मन अब तक, उसने मुँह की ही खाई है,
सीखा है गर्म हवाओं में, सब ने इक रौ में बहना है।।4।।
सौहार्द, प्रेम, निष्ठा से, जग जीता है, पर्व मनायें हैं,
क्या गीता-रामायण-कुरान, हर ग्रंथों का यह कहना है।।5।।
समांत- अहना
दीवाली दीपों से सजती, होली रंगों का गहना है।
इन पर्वों से ही इंसानों, ने मिल कर सीखा रहना है ।।1।।
मेरा भारत है पर्वों, त्योहारों, मेलों का देश यहाँ,
गंगा-यमुना की संस्कृति ने, धर्मों का बाना पहना है।।2।।
राष्ट्रिय पर्वों पर सर्व-धर्म, समभाव लिए सब जुड़ते हैं,
इस मातृभूमि की रक्षा को, हर दुश्मन का गढ़ ढहना है।।3।।
बहला न सका दुश्मन अब तक, उसने मुँह की ही खाई है,
सीखा है गर्म हवाओं में, सब ने इक रौ में बहना है।।4।।
सौहार्द, प्रेम, निष्ठा से, जग जीता है, पर्व मनायें हैं,
क्या गीता-रामायण-कुरान, हर ग्रंथों का यह कहना है।।5।।
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