26 जून 2024

चलो शरबती घूँट भरें

गीत
शरबत पीने के ढूँढें हम, कई बहाने ।
महिफल हो पिकनिक हो होटल, या मयखाने। 
सभी बुलाते पीने को किस-किस की मानें । 

पीते तो गुस्‍सा भी हैं
पर रक्‍त चाप बढ़ने का डर
पड़े कलेजे को ठंडक अब
ऐसा कुछ करते हैं पर
आदत पड़ती बुरे व्‍यसन की 
जब जब जिसको भी देखा
क्‍लेश कलह से जीवन में 
बरबाद हुए कितने ही घर 
संस्‍कार बिगड़ें उनकी तो राम ही जाने,
चलो शरबती घूँट भरें और लंबीं तानें ।

बच्‍चों में उल्‍लास 
जमाने भर का देखा
कोल्‍ड ड्रिंक का चस्‍का 
नवपीढ़ी में देखा
कहाँ बुजुर्गों को
ठंडाई लस्‍सी छाछ
शरबत मिल जाए बस
खिल जाती है बाछ
खट्टी मीठी बातें तो बस नीबू जाने
चलो शिकंजी को ठंडाई समझें छानें ।  

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें