25 जून 2024

प्रकृति के संग वे चलते रहे हैं

गीतिका
आधार छंद- सुमेरु (मापनीयुक्‍त मात्रिक छंद)
विधान- प्रति चरण 19 मात्रा। 10, 9 अथवा 12, 7 पर यति।
मापनी-  1222 1222 122
पदांत- रहे हैं
समांत- अते 

प्रकृति के संग वे चलते रहे हैं।
हवा के संग वे, बहते रहे हैं।

बचाते जल बनाते हैं सघन वन
पहल भी वे सदा, करते रहे हैं।

सजग होने लगे हैं योग के प्रति‍,
नवोन्‍मेषी वही बनते रहे हैं।

बनाते वे प्रदूषणमुक्‍त धरती,
कनक सा आग में तपते रहे हैं

चलें जो राह संघर्षों भरी ही,    
रचें इतिहास वे मिटते रहे हैं।    

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