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एक समय था घर में भी घूँघट लेकर औरत रहती थीं.
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एक समय था घर में भी घूँघट लेकर औरत रहती थीं.
कोई भी घर आये, बाहर मिल जाये घूँघट करती थीं.
औरत ने घूँघट त्यागा है तब से गिद्ध दृष्टि है उस पर,
इसीलिए पहले घर-घर में दहलीजें चौखट बनती थीं
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एक समय था गाँव-गाँव जीमण पे जाने की थी रीति.
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एक समय था गाँव-गाँव जीमण पे जाने की थी रीति.
जात-कर्म के
मौकों पर ज्योनारों से तुलती थी प्रीति.
चलन वही है
ठाठ-बाट भी आज सभी वह ही दिखते,
मात्र उठक
बैठक का अंतर है व स्वरुचि भोज की नीति
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एक
समय था, जिसे जी चुके, उसे
आज अपना कर देखें.
तब
क्या था है आज जी रहे, उसे आज तुलना कर देखें.
जीवन
मूल्य सोच, समय और, पैसे ने बदला है ‘आकुल’,
नहीं
आज की पीढ़ी दोषी, उनका सच सपना कर देखें. 4
एक
समय था, जिसे जी चुके, उसे
आज अपना कर देखें.
तब
क्या था है आज जी रहे, उसे आज तुलना कर देखें.
जीवन
मूल्य सोच, समय और, पैसे ने बदला है ‘आकुल’,
नहीं
आज की पीढ़ी दोषी, उनका सच सपना कर देखें. 5
एक समय था,
धर्म-कर्म से ही जाँचा जाता था जीवन.
कौन है’ कितना कट्टरपंथी भी
आँका जाता था जीवन.
मठाधीश, धर्मगुरुओं से ही
धर्मव्यवस्थायें चलती थीं,
और धर्म के नाम पे सूली पर
टाँगा जाता था जीवन.
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