30 जनवरी 2019

कुछ खोकर पाना कुछ पा कर, ही कुछ खोना (गीतिका)

छंद- पदपादाकुलक चौपाई
विधान- मात्रा भार 32. 16, 16 पर यति आरंभ/ अंत गुरु से. 
यदि त्रिकल से आरंभ तो उसके बाद त्रिकल आवश्‍यक.
पदांत- है
समांत- अंत्र
 
कुछ खोकर पाना कुछ पा कर, ही कुछ खोना महामंत्र है.
जीवन के विकास में युग युग, से दुहराता रहा तंत्र है.

सुख दुख संकट भोग लालसा, माया मोह लोभ औ हिंसा,
तन मन धन को करें प्रभावित, संवेगों का ही षड्यंत्र है.

नियम प्रावधानों में जकड़ा संविधान के राजदण्‍ड का,
जल थल नभ की सीमाओं का, संप्रभुत्‍व ही’ तो गणतंत्र है.

अधिकारों, कर्तव्‍यों, उत्‍तरदायित्‍वों, संस्‍कारों से जब,
मिलती ऊर्जा इंसानों को, तब लगता है वह स्‍वतंत्र है.

प्रजा सुखी हो, सुख सुविधा हो, सर्वधर्म समभाव निहित हो,
सही मायने राष्‍ट्र जगत् में, कहते सच्‍चा लोकतंत्र है.  

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