1 . उठा-पटक
कुश्ती जीते उठा-पटक से, दाँव पेच से, घमासान से.
कभी साथ दे भाग्य जीत गिरती झोली में आसमान से.
अवसरवादी उठा-पटक में, सदा फायदे में हैं रहते,
युद्ध प्रेम में सब जायज उनको क्या लेना मान-पान से.
2. उठा-पटक
दौड़-धूप कहलो या उठा-पटक जीवन में बहुत जरूरी,
2. उठा-पटक
दौड़-धूप कहलो या उठा-पटक जीवन में बहुत जरूरी,
सदा महत्वाकांक्षायें रहती बिन भागम-भाग अधूरी.
उठा-पटक के बिना न ‘आकुल’,अवसर आसानी से मिलते,
हार मानता जो इंसान सफलता भी रखती है दूरी.
3. जली-कटी
व्यंग्य, भर्त्सना, कानाफूसी, निंदा व कूटोक्तियाँ,
कहना जली-कटी, उलाहना, दें अरु कसें फब्तियाँ,
एक तरफ जीवन में बाधक, ये पर सच है यह भी,
आवश्यक उत्थान हेतु अनुशासन और सख्तियाँ.
3. जली-कटी
व्यंग्य, भर्त्सना, कानाफूसी, निंदा व कूटोक्तियाँ,
कहना जली-कटी, उलाहना, दें अरु कसें फब्तियाँ,
एक तरफ जीवन में बाधक, ये पर सच है यह भी,
आवश्यक उत्थान हेतु अनुशासन और सख्तियाँ.
4. जली-कटी
जली-कटी कह कर अपनों को, हम ही देते कष्ट.
प्रेम भाव में करें कटौती, वाणी करते भ्रष्ट.
है महत्व मीठा ही बोलें, नहीं कर्णकटु-तीक्ष्ण,
क्यों ऐसा बोलें कहलायें, जग समाज में धृष्ट.
जली-कटी कह कर अपनों को, हम ही देते कष्ट.
प्रेम भाव में करें कटौती, वाणी करते भ्रष्ट.
है महत्व मीठा ही बोलें, नहीं कर्णकटु-तीक्ष्ण,
क्यों ऐसा बोलें कहलायें, जग समाज में धृष्ट.
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