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विश्व हिंदी दिवस की शुभकामनायें
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छंद- विष्णुपद
विधान- 16, 10 पर यति, अंत गुरु से.
पदांत- जायें
समांत- अते
समवेत स्वरों में देशगान, को भजते जायें.
पहचान बने हिंदी से ही, यह कहते जायें.
गौरवशाली हैं हिंदी है, भाषा यह अपनी,
अब दुनिया में हिंदी भाषी, नित बढ़ते जायें,
फूलों की खुशबू से महके, इक उपवन जैसे,
भाषा से दुनिया को सुरभित, अब करते जायें.
भारत प्रायद्वीप त्रिवेणी, बन कर अब उभरे,
हिंदी संगम के देश सभी, गढ़ बनते जायें.
मुड़ कर पीछे मत देखो है, गंतव्य पास ही,
अब किसी दूसरी भाषा से, न बहकते जायें.
विश्व हिंदी दिवस की शुभकामनायें
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छंद- विष्णुपद
विधान- 16, 10 पर यति, अंत गुरु से.
पदांत- जायें
समांत- अते
समवेत स्वरों में देशगान, को भजते जायें.
पहचान बने हिंदी से ही, यह कहते जायें.
गौरवशाली हैं हिंदी है, भाषा यह अपनी,
अब दुनिया में हिंदी भाषी, नित बढ़ते जायें,
फूलों की खुशबू से महके, इक उपवन जैसे,
भाषा से दुनिया को सुरभित, अब करते जायें.
भारत प्रायद्वीप त्रिवेणी, बन कर अब उभरे,
हिंदी संगम के देश सभी, गढ़ बनते जायें.
मुड़ कर पीछे मत देखो है, गंतव्य पास ही,
अब किसी दूसरी भाषा से, न बहकते जायें.
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