गीतिका
छन्द- मुक्तामणि
विधान- प्रति चरण 25 मात्रीय छन्द। यह दोहा परिवार का छंद है।
जिसमें 13, 12 पर यति होती है। दोहा के चरणांत में लघु को गुरु कर देने से यह छन्द
सिद्ध होता है। अर्थात् दोहे की तरह 13, 11 के स्थान पर 13, 12 इस छन्द की
प्रकृति है।
पदान्त- सारे
समान्त– आएँ
करें प्रकृति से मित्रता, ध्येय
बनाएँ सारे।
करें सूर्य से दोस्ती, सब प्रकाश में बैठें,
छत या बाहर घूमिए, रोग भगाएँ
सारे ।
हो तनाव यदि मानसिक, बनें
प्रकृति के संगी,
करे प्रभावित प्रकृति दे,
खुशियों पाएँ सारे ।
चढ़ें नित्य ही सीढ़ियाँ,
मंदिर की बिन बाधा,
प्रभु समक्ष साष्टांग से, शीश
नवाएँ सारे।
नित्य नियम से लीजिए, लंबी
लंबी साँसें,
होगा यदि अवरोध तो, शीघ्र
मिटाएँ सारे ।
मिले प्राकृतिक रोशनी, सहज
सहन हो पीड़ा,
घूमें नित उद्यान में, मेद
घटाएँ सारे ।
लाभदेय है साथियो, योगाभ्यास
जरूरी,
बहे पसीना तब तलक, फिर घर
जाएँ सारे।
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