गीतिका
छन्द- अनंद (वर्णिक)
मापनी-121 212 121 212 12 (ज र ज र ल ग)
सहज
मापनी - 12 12 12 12 12 12 12
पदांत- 0
समांत- इये
बढ़े न आय खर्च पे, लगाम खींचिये ।
ना बैंक ना महाजनी उधार लीजिये।
न खत्म हों, स्वभाव, आदतें, बुराइयाँ,
रहें मौन और जोड़-भाग कीजिये ।
सभी न दूध के धुले, हुए समाज में,
कहीं न देखिए कमी, न दोष दीजिये।
बजार हाट जाइए न कार आदि से,
कभी कभार मोल-भाव से खरीदिये।
न शेषता रहे कभी, विशेषता रहे,
किसी अशेष की दुआ, अनेक जीतिये।
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