छन्द- मुक्तामणि
विधान- प्रति चरण 25
मात्रीय छन्द। यह दोहा परिवार का छंद है। जिसमें 13, 12 पर यति होती है। दोहा के
चरणांत में लघु को गुरु कर देने से यह छन्द सिद्ध होता है। अर्थात् दोहे की तरह
13, 11 के स्थान पर 13, 12 इस छन्द की प्रकृति है।
पदान्त- सारे
समान्त– आएँ
कहें जिंदगी चार दिन, स्वप्न सजाएँ सारे।
आपस में सद्भाव से, मिलें मिलाएँ सारे।1।
वैमनस्य कटुता सभी, रखते तनाव मानो,
है निदान बस प्रेम ही, दर्द मिटाएँ सारे।2।
पुन: समय दुनिया हमें, शायद ही दे मौके,
वक्त गुजर जाए नहीं, लाभ उठाएँ सारे।3।
सरल न होता है कभी, हार झेलना हो तो,
रहें एक जुट हौसले, सदा बढ़ाएँ सारे।4।
आकुल जनम हमें नहीं, शायद मिले दुबारा,
आज अनोखा काम हम, कुछ कर जाएँ सारे।5।
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