4 फ़रवरी 2024

खुद पर रख विश्‍वास

गीतिका
छन्द- रोला (अर्द्ध सम मात्रिक)
विधान- प्रति चरण 24 मात्रा। 11, 13 पर यति रोला का विषम चरण हूबहू लय में दोहे का सम चरण होना चाहिए तथा सम चरणांत गुरु-लघु और सम चरणांत- दो गुरु आवश्यक।
पदान्त- 0
समान्त- एरे

खुद पर रख विश्वास, रात-दिन अवसर हेरे।
पूरे हों हर हाल, न संकट उनको घेरे 1

हर क्षण बदलें योग, देखना कभी न मुड़कर,
जो चलते रख ध्येय , बनें भवितव्य घनेरे2

पड़े-पड़े तो जंग, लगे लोहे में अकसर,
चले समय के संग, बने पारस बहुतेरे3

सत्संग का प्रभाव, रहे इतना जीवन में,
पहुँचें शिखर सदैव, नहीं रखते जो डेरे 4।

'आकुल' का मन्तव्य, रुका वह अवसर खोता,
वर्तमान हालात, समय ने सबके फेरे 5

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