11 मार्च 2024

बोलिए न कटु वचन न बढ़़कर आफत पालिए

गीतिका 
प्रदत्‍त छंद- गगनांगना
विधान- चौपाई (16) + 9 मात्रा, अंत रगण (212)। 
पदांत- पालिए
समांत- अत 
बोलिए न कटु वचन,  न बढ़ कर, आफत पालिए
सोच समझ कर बोल सको वह, आदत पालिए ।

दुखदायी बन जाती कोई , पहल कभी-कभी,
नई मुसीबत नहीं किसी भी,  बाबत पालिए।   

नीम हकीमों के झाँसे में, पड़ें नहीं कभी,  
घाव बने नासूर न ऐसी, हालत पालिए।

नहीं दलालों के चक्‍कर में, आना साथियो, 
अच्‍छा होगा ज्यादा की मत, चाहत पालिए।

आत्‍मसुरक्षा बहुत जरूरी, अब तो देश में,
हरसू हैं खूँखार जानवर, ताकत पालिए।

आँखों में किरकिरी बने, ऐसी शान क्‍यों,
मृत्‍यु भोज ना ऐसी कोई, दावत पालिए।    

बरकत से पूरी हर इच्‍छा, होती सर्वथा,
अकस्‍मात में बने सहायक, राहत पालिए।


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