गीत
बच्चों
का निश्छल निर्मल मन, होता है।
पंछी
जानें क्या अपनापन, होता है।
बच्चों
सा कोतूहल होता, पंछी में,
मिलना
ही सबसे अभिनंदन, होता है।
अनचाहा आकर्षण जब भी, होता है
बच्चों
का निश्छल निर्मल मन, होता है ।
पूछा
बच्ची ने भी उस दिन, पंछी से,
तुम
चलते भी हो उड़ते भी, हो कैसे,
मैंने
यहाँ दौड़ते देखा, है तुमको,
मुझको
क्यों ना पंख दिए हैं, तुम जैसे,
उसके
भी हैं पंख, मेरे घर, तोता है।
बच्चों
का निश्छल निर्मल मन, होता है ।
बोला
पंछी तुम्हें बचाने, वाले हैं,
हम
यायावर हैं खुद जीना, पड़ता है,
स्वयं
बचाने को ईश्वर ने, पंख दिए,
निर्बल
हैं हम उनसे उड़ना, पड़ता है,
अपने
हाथों अपना जीवन, होता है।
बच्चों
का निश्छल निर्मल मन, होता है ।
पंछी
बोला छोटी हो ना, समझोगी,
साथ रहोगी जीवन के गुर सीखोगी
नहीं
बैठना नदी किनारे ,सागर तट,
लहर ले गई तो पानी में, डूबोगी,
पंछी
बोला तुम उड़ान भर सकती हो,
ध्येय
बनाओ तभी अटल प्रण होता है।
बच्चों का निश्छल निर्मल मन होता है।
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