18 मार्च 2024

जीते जी जो कर गुजर जाते वे अमर हैं

गीतिका
छंद-  मदन ललिता (वर्णिक छन्‍द)
विधान- प्रति चरण 16 वणी्य वर्णवृत्‍त
मापनी- 222 211 111 222 111 2 
गण विधान- मगण भगण नगण मगण नगण गुरु
पदान्‍त- वे अमर हैं
समान्‍त- आते

जीतेजी जो कर गुजर जाते वे अमर हैं
आतंकी पे जब कहर ढाते वे अमर हैं   

वीरों की जो हर इक कहानी देख पढ़ ही,
जाँबाजी में प्रखर बन पाते वे अमर हैं।

जो जीये जीवन भर गरीबों के बन सखा,
दीनों पे जो रहमत दिखाते वे अमर हैं।

वे सारे सिद्ध प्रवण मसीहा हैं कृतमुखी,
छूते ही ज्‍यों अमिय बरसाते हैं वे अमर हैं

जी ऐसे ‘आकुल’ सफल हो आना जगत् में
दे जाते जो परमसुख छाते वे अमर हैं।      

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