गीतिका
छन्द- वचतुर्यशोदा (मापनीयुक्त मात्रिक छंद)
मापनी- 12122 12122 12122 12122
पदांत- करेगा
समांत- अदा
दगा न करना, गुनाह तेरा है’ बोझ पीछा सदा करेगा।
ये' कर्ज है तू, न चाह कर भी, इसी जनम में अदा करेगा।
तबाह जीवन अगर हुए हैं, ते’रे गुनाहों की' ही वजह से,
कभी खबर जो, तुझे पड़ेगी, मलाल तू सर्वदा करेगा।
अहं यहाँ पर, रहा नहीं फिर, करे अहं क्यों, वजह तलाशो,
अगर न आभार मानता है, तुझे जहाँ अलहदा करेगा
अगर अमन से रहे यहाँ जो नहीं जरूरत है' दौड़ने की,
न चैन मिलना तुझे इकट्ठी अवैध जो संपदा करेगा।
न क्रोध माया न मोह मत्सर रखे जहाँ में वही सुखी है,
व्यसन तनिक भी खराब ‘आकुल’ कभी नहीं फायदा करेगा।
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