2 मार्च 2024

हे राम ! अब तेरा ही, जीवन में है सहारा

(आधार लय- 2212 122 2212 122)

हे राम ! अब  तेरा ही, जीवन में है सहारा।
इस कर्मभूमि में अब, मुश्किल में है गुजारा।। 
हे राम !.....

हर शाख पे है उल्‍लू, किसको कहें हम अपना,
आएगा कब यहाँ पर, अब राम राज्‍य अपना,
मुँह पे तो राम है पर, छुरियाँ लिए बगल में,
हर एक कर रहा है, अब उल्‍लू सीधा अपना,

चुप रह के जी रहे राम ! है अब न कोई चारा। 
इस कर्मभूमि में अब मुश्किल में है गुजारा।। 
हे राम !.....

है खास आदमी से, बदली सियासतें हैं,
कहने को दे रखी हैं, थोथी रियायतें हैं,
चालें सियासतों की, नित खेली हैं जा रही,
दोहराई जा रहीं फिर, छिप कर रिवायतें हैं,

मोहरा बने हो तुम क्‍या, समझो तो है इशारा।
इस कर्मभूमि मे अब, मुश्किल में है गुजारा। 
हे राम !.....

दे रोजगार जल्‍दी, सुविधाएँ सब सराहें,
हो खत्‍म घूसखोरी, दुष्‍कर्म की कराहें,
नारी न दे कहीं भी, कोई अग्नि परीक्षा,
शिक्षा व खेल पे हों, सियासी नहीं निगाहें,

बस रामराज्‍य का स्‍वप्‍न, हो सिद्ध अब हमारा।
आसानियों से होगा, जन जन का तब गुजारा। 
हे राम !......     
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