20 मार्च 2024

जीत ले दिल कुछ समयसर कर्म कर के मित्र

गीतिका
छंद- रूपमाला
मापनी- 2122 2122 2122 21
पदान्‍त- कर के मित्र
समान्‍त- अर्म  

जीत ले दिल कुछ समयसर कर्म कर के मित्र।
कुछ कमा ले पुण्‍य खुलकर धर्म कर के मित्र।

कर्म ही है जो बनाएगा सदा भवितव्‍य,
धर्मपथ पर चल न डिगना शर्म कर के मित्र।

पथ निखारें और पहुँचाएँ शिखर पर शीघ्र,
काम कर निश्‍छल स्‍वयं को नर्म कर के मित्र।

रत्‍न से लोहा न कमतर दृढ़ रहे हर हाल,
रूप कैसा भी बना लो गर्म कर के मित्र।

भेदना हो गढ़ किसी का ढूँढना कुछ मर्म,
घाव को हैं काटते मृतचर्म कर के मित्र।
        

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