गीतिका
छन्द पीयूष वर्षी
पदांत- देखिए
समांत- आवी
आ गए फिर दिन चुनावी देखिए।
ये तमाशा भी मा’यावी देखिए।1।
दलबदलुओं से भले चुप हो प्रजा,
हश्र देगी जो तनावी देखिए।2।
ऊँट करवट, तो न लेगा देखना,
कौन कितना हो प्रभावी देखिए।3।
रुख हवा का मोड़ना मुमकिन नहीं,
यह नदी अब भी बहावी देखिए।4।
ढाक के बस तीन पत्तों की तरह,
ख़्वाब उनके फिर पुलावी देखिए।5।
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