होली की मस्ती है छाई
छेड़
छाड़ भी सबको भाई
लाख
दुहाई दें चाहे वे
रँगना
तो है सबको भाई।
तन
मन में उमंग है छाई
सतरंगी
रँग देना चाहे
सूखे
रँग से हो रंगाई
पानी
से जो खेलें बेरँग
होते
वही निपट हरजाई।
रँग
से जीवन में रंगीनी
खुशबू
जिसमें भीनी भीनी
खुशियों
का जिसमें है केसर
जैसे
मधु में हो ना चीनी
मने
मधूत्सव गाते रसिया
होली की मस्ती |
त्योहारों
का मोह न छूटे
मनुहारों
से कभी न रूठे
सबसे
पहले उन्हें बचाओ
जबरन
कोई भाग्य न फूटे
जो
करते काला मुँह बचना
होली
ने तो प्रीत बढ़ाई।
होली
में अभिसार न हो बस
हमजोली
हद पार न हो बस
जीवन
में मधुमास खिलेगा
आभारी
हो भार न हो बस
ये
वो जिनने द्वेष द्रोह की
पहले
होली नहीं जलाई।
प्रेम
और सौहार्द न बातें
पर्वोत्सव
तो हैं सौगातें
जिसने
ढाई आखर सीख
करते
कभी नहीं वे घातें
जीवन
को रंगीन बनाने
मने
पर्व दे चलें बधाई।
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