गीतिका
छंद- चंडिका
विधान- 26 मात्रा, दोहे के 13 मात्रिक विषम चरणों की चार आवृत्ति, क्रमागत तुकांत एवं 13, 13 पर यति। दोनों चरणांत रगण (212) से। यति से पूर्व व पश्चात् गुरु आवश्यक।पदांत- माँ
समांत- ईत
क्या बरखा क्या शीत माँ , निश्छल तेरी प्रीत माँ ।
तू सुख का संगीत माँ, तू ही सच्ची मीत माँ ।1।
तुझसे हर संवाद है , तुझसे घर आबाद है,
तुझसे सीखी रीत माँ, तुझसे ही हर जीत माँ ।2।देती न दुराशीष तू , देती बस आशीष तू,
घर में जैसे भीत माँ, तन पर ज्यों उपवीत माँ।3।संस्कार व्यवहार दम, होते दुनियादार हम ,
अप्रतिम तू अभिनीत माँ, न्यायमूर्ति अभिजीत माँ।4।छंदों का ही योग है , मणिकांचन संयोग है,
गीति, गीतिका, गीत माँ, गोरस में नवनीत माँ ।5।
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