10 अगस्त 2022

प्रेम निभाने हम आएँगे

गीतिका

छंद- शक्तिपूजा

विधान- 24 मात्रा, चार चौकल, अंत अष्‍टक से ( 8,8,8)

पावस की ऋतु में वन उपवन, लहरायेंगे।

सागर से घट बादल पानी, भर लायेंगे।

राहत पाकर हरियाली ने, डेरा डाला,

हर पथ वृक्षावलियाँ पौधे, हरसायेंगे।

खुशियों की किलकारी बच्‍चों, ने है मारी,

पानी में कागज की नावें, तैरायेंगे।

हर सखियाँ झूला झूलेंगी, सखियों के सँग,

कजली गाते-गाते मे’हँदी, रचवायेंगे। 

होंगे सावन के अलबेले, मेले तब ही,

पी होंगे सिंगार तभी मन, को भायेंगे।

बह जाते हैं बारिश में अवरोध पुराने,

कलुष बहाएँ  रिश्‍तों के तट, मिल जायेंगे। 

समझा जाते हैं मौसम त्‍योहार सभी को,

प्रेम करोगे प्रेम निभाने, हम आयेंगे।

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