31 अगस्त 2022

जय गणेश गोपाल

गीतिका

छंद- अभीर/अहीर

पदांत- 0, समांत- आल  

 

जय गणेश गोपाल। 

मुरलीधर हे लाल ।  

शोभित मयूर पंख

शीश किरीट प्रवाल।

 

शैलसुता के पुत्र

तुम शिवपूत निहाल।

 

दंडपाणि ले वेणु, 

शूल त्रिपुड सुभाल।

 

ऋद्धि-सिद्धि के देव,

सब के हो प्रतिपाल।

 

अंकुश कर दल-मूष,

बने कृषक संघाल।  

 

गजवदन प्रथम पूज्‍य,

बने प्रबुद्ध विशाल।   

 

‘आकुल’ भजे गणेश,

पूजे सांझ सकाल ।         

 

संघाल (संघेला)- मित्र, सकाल- सवेरे

 

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