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मुक्तक-लोक<>चित्र मंथन समारोह- 428<>24.08.2022
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(अतिथि रचना)
मुक्तक
राष्ट्रभक्ति सर्वोपरि हो बस, कोई भी हो वेश।
रहे न मन में, दिखे जरूरी, करें नज़ीरें पेश।
इकजुटता केे लिए रखें सब, सर्व-धर्म समभाव,
चाहे गाजर-मूली-भिंडी, से पहुँचे संदेश।
-आकुल
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