14 अगस्त 2022

अमृत महोत्‍सव में करें प्रण

स्वाधीनता के 75 वर्ष- 
अमृत महोत्सव की शुभकामनाएँ
*********************************
गीतिका
छंद- हरिगीतिका
मापनी- 2212 2212 2212 2212
पदांत- से
समांत- आन
ध्वजदंड पर लहराए’गा ध्वज, अब बड़े ही शान से।
स्वाधीनता के उन दिनों को, याद कर अभिमान से।
 
कण-कण हुआ कृतकृत्य, जन-जन में, बड़ा उत्साह था,
फहराए’गा अब कल तिरंगा, फिर उसी सम्मान से।
 
गूँजेंगी अब चारों दिशा, झूमेंगे’ अब धरती गगन,
समवेत स्वर में राष्ट्रगा(न), गाएँगे’ जब सब मान से।
 
हमको रहेगा गर्व जीवन भर शहीदों का करम,
उनसे ही’ तो हैं जी रहे, हम आज इतमीनान से।
 
हों कम दिलों में दूरियाँ, अब हौसले कम हों नहीं,
अब देश ही सर्वोच्च हो, प्यारा हो’ अपनी जान से।
 
हो ख़त्म अब आतंक, भ्रष्ट आचारण, दुष्कर्म सब,
हैं बढ़ रहे ख़तरे समझ ना, पा रहे क्यों ध्यान से।
 
कहती नहीं धरती कभी, करके दिखाएगी सही,
विप्लव कभी ऐसा कि, सोचा भी न हो ईमान से।
 
अमरित महोत्सव में करें प्रण, ध्वज न हो घायल कभी,
अंदर भितरघाती से’ ना, सरहद के’ बेईमान से।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें