गीतिका
छंद-अभीर/अहीर
विधान- मात्रा भार 11, दोहे का सम चरण। अंत गुरु लघु, यदि अंत में जगण (121) बने वह छंद अभीर कहलाता है ।
पदांत- कह डाल
समांत- अच
बद से बच कह डाल,
सच को सच कह डाल ।
जो दे आगे दर्द,
रहे न किरच कह डाल।
बन जाएँ सुविचार,
ऐसा रच कह डाल ।
सोच समझ वो बोल,
जाए पच कह डाल
रुकता कहीं विनाश,
भले असच कह डाल ।
व्यंग्य चलें तो घोल,
नमक मिरच कह डाल।
सच ही एक अभेद्य,
पहन कवच कह डाल
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