30 अगस्त 2022

जीवन में संस्‍कार बनाते रिश्‍ते हैं

गीतिका

छंद- मंगलवत्‍थु (4.01.2022)

विधान- 22 मात्रा। 11,11 पर यति। यति से पूर्व व बाद में त्रिकल अनिवार्य, अंत दो गुरु वाचिक से।

पदांत- रिश्‍ते हैं

समांत- आते

जीवन में संस्‍कार, बनाते रिश्‍ते हैं।

जिनसे हर परिवार, निभाते रिश्‍ते हैं।

घर होता है केंद्र, जहाँ पलते रिश्‍ते,

उन्‍हें शृंखलाबद्ध, जमाते रिश्‍ते हैं।

रिश्‍तों के भी नाम, बताते हैं गरिमा,

अपनों की पहचान, दिलाते रिश्‍ते हैं।

उम्र कभी दे श्रेय, कभी दे पद ऊँचा,

उसके ही अनुरूप, सुहाते रिश्‍ते हैं।

रिश्‍ते हों अनमोल, निभें संस्‍कारों से, 
ढाई आखर प्रेम, बढ़ाते रिश्‍ते हैं ।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें