गीत
कृष्ण का गोकुल यशोदा नंद का नँदगाँव लिख दूँ.
कृष्णप्यारी राधिका वृषभानुजा का गाँव लिख दूँ.
नीति का ऐसा अनोखा ग्रंथ देखा ना अभी तक,
कूटनीतिक,
राजनीतिक द्यूत का हर दाँव लिख दूँ.
कृष्ण का गोकुल.....
जसुमती का भाग देखो,
देवकी का त्याग देखो,
गोपियों का राग देखो,
कृष्ण का अनुराग देखो,
फिर बना ब्रजधाम मथुराधीश का परि-त्याग देखो,
द्वारिका के नाथ का गोकुल न लौटा पाँव लिख दूँ.
कृष्ण का गोकुल..........
गिरिशिखर को भी धरण कर, कंस का भी संहरण कर,
यादवों को भी उऋण कर,
रुक्मिणी को भी शरण कर,
कृष्ण राधा के अनोखे,
प्रेम की रज छू वरण कर,
धन्य है चैतन्य की ब्रज-भूमि भी है ठाँव लिख दूँ.
कृष्ण का गोकुल.....
पांडवों का पक्ष कर के, पार्थ का सारथ्य कर के,
कर्ण को निर्बल किया था, इंद्र ने भी स्वाँग धर के,
पांडवों ने भी घटोत्कच, वीर अभिमन्यू को' खोया,
कौरवों की हार से इस युद्ध का पटदाँव* लिख दूँ.
कृष्ण का गोकुल..........
कृष्ण का संदेश गीता आज भी है सिद्ध जग में,
प्रेम का सानी नहीं स्वयमेव यह है सिद्ध जग में,
मोक्ष की हर कामना का ग्रंथ है 'गीता' अनोखा,
दे सभी को मार्गदर्शन ध्येय सच्ची छाँव लिख दूँ.
कृष्ण का गोकुल..........
*पटदाँव- पटाघात, पटाक्षेप
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