27 अगस्त 2022

नारी मन का हाल सुनाता बंजारा

गीत
नारी मन का हाल सुनाता बंजारा !
मन हो जाता कभी बावरा आवारा ।
नारी मन का हाल सुनाता बंजारा .......
 
रुपगर्विता देख सभी का मन ललचे
सुंदरता को देखे क्यों ना दिल परखे
भूल न किससे होती, ईश्वर भी न बचा
जब बन बैठा नरदारा उसके कर से
उसके धीरज से मनुष्य अकसर हारा ।
मन हो जाता कभी बावरा आवारा ।
नारी मन का हाल सुनाता बंजारा ..........
 
नख से शिर तक दी है उसको कोमलता,
फूलों की खुशबू से दी है मादकता,
ममता की झोली में पलते हैं सपने,
जीवन का मधुमास उसी से है खिलता ।
उससे ही बहती घर में सुख की धारा ।
मन हो जाता कभी बावरा आवारा ।
नारी मन का हाल सुनाता बंजारा ..........
 
अपनापन नारी जैसा न कहीं देखा,
अधुनातन नारी चाहे तोड़े रेखा,
शांत, सहिष्णु है वीरा धीरा है नारी,
भाव न आता कभी किसी से बदले का ।
जब तक उसको ठेस लगे ना सौबारा।
मन हो जाता कभी बावरा आवारा ।
नारी मन का हाल सुनाता बंजारा ..........
 
आज बनी सिरमौर जमाने में नारी,
अब धरती से नभ तक पहुँची है नारी,
जब भी सोच लिया जीवन में दृढ़ता से,
कर गुजरे पीछे ना तब देखे नारी ।
देवी सी पुजती है माँ सी बलिहारा ।
मन हो जाता कभी बावरा आवारा ।
नारी मन का हाल सुनाता बंजारा..........

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