26 अगस्त 2022

राधा माधव झूला झूलें

गीतिका  

छंद- अड़ि‍ल्‍ल

सम मात्रिक छंद, चौपाई की तरह अंत दो लघु या दो गुरु 

समांत-ऊलें  पदांत- 0

 

राधा माधव झूला झूलें।

उड़े पींग पर श्‍याम झड़ूलें

 

संदल पवन चले महकाए,

वन उपवन हरसायें फूलें।

 

गायें शुक मयूर कोयल भी,

रिमझिम बरखा तन को छूलें।

 

गोपी ग्‍वाला देखें ओटन,

जो भी देखें सुधबुध भूलें।

 

‘आकुल’ भी देखे खो सुधबुध,

 को-रस रचें हृदय में हूलें।।     

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